मामू
मामू,
सोच रही हूँ आपको,
कोशिश में हूँ मैं,
कुछ लिख जाऊं मैं आपको आज,
आँसू भी अविरल बह रहे हैं,
पर बहने न दूँगी इन्हें आज ,
तोहफे में आँसू नहीं दे सकती न मामू.
मामू सबकुछ हो कि
क्या कुछ हो,
जानती कहाँ हूँ मैं,
बस इतनी खबर है मुझे,
चल रही जो साँसें मेरी,
दी हुई आपकी ही हैं.
बिखर गए थे हम बिन प्यार,
टूट गए थे हम धोखे से,
चलना सिखला दिया आपने,
दुनिया कैसी है बता दिया आपने.
ख्वाब जो बिखरे थे मेरे,
सब समेटकर मेरे दामन में डाल दिया.
है मतलब क्या मामा का,
आपसे ही जाना है मैंने.
प्यार जो मिला मुझे आपका,
आशीर्वाद बनकर यूँ ही,
ताउम्र साथ रहेगा मेरे.
साथ रहेगी आपकी हर बातें,
जिनसे मैं होती हूँ प्रेरित ,
चलती रहती हूँ जीवन-पथ पर.
-------------------नितिका सिन्हा
खुशियाँ लौट आयीं
जब हार गयी थी मैं,
ऊब गयी थी मैं ज़िन्दगी से,
खुशियाँ परिवार की बिखर गयीं थीं,
रिश्तों से भी ठगी गयी थी मैं,
तब थामा था आपने दामन मामू,
जीने का दिया हौसला,
समेटकर ला दिए सारी खुशियों को.
जब सारी ख़ुशी रूठ कर जाने लगी,
लगा जैसे खुशियाँ भूल गयीं हैं,
पता मेरे घर का.
आ गए ऐसे में आप,
हर लिया सारे दुखों को,
बता दिए खुशियों को हमारे घर का पता.
-------------------------------------नितिका सिन्हा
मामू से माँ सा रिश्ता
ज़िन्दगी में यूँ कई रिश्ते बनते हैं,
मामू से रिश्ता माँ जैसा होता है,
माँ जैसा प्यार,माँ सा दुलार,
कभी-कभी गुस्से से मुँह फुला लेना,
फिर माँ जैसे ही मामू का मनाना.
मामू वक़्त बिना रुके चलता रहता है,
इसके शाखों से झड़ते हैं लम्हें,
पत्तों की तरह,
और बदलते रहते हैं लम्हें,
पल,दिन,साल में यूँ ही,
और वक़्त गुजरता जाता है.
ख़ुशी भी एक पल है न मामू,
जो आती है एक बहाना लिए ,
हमारे पास कोई रूप लिए,
आयी है आज खुशियाँ पास आपके,
जन्मदिन का बहाना लिए.
मामू मिलेंगे आपको तोहफे कितने सारे,
मैं क्या दूँगी आपको आज मैं,
चलो,कुछ लेती हूँ मैं ही माँग,
यूँ ही अपना हाथ ,
बनाये रखना मेरे सर पर,
दिखाते रहना राह मुझे ,
राह में जब भी अँधेरा हो कभी,
अपने आशीर्वाद की रोशनी से,
रोशन कर देना मेरी राहों को.
---------------------------नितिका सिन्हा